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गणाचार्य 108 विराग सागर महाराज का जन्म जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया।
इंदौर :- गुरु के गुणों के विषय में बताना शिष्य के लिए सौभाग्य की बात है क्योंकि ऐसा करने से वह गुण शिष्य में प्रगट होने लगते हैं। आज जो कुछ भी मुझ में अच्छा है वह गुरु का प्रसाद है और जो कुछ मुझ में बुराइयां हैं वह मेरा प्रमाद है।
आज आचार्य 108 विभव सागर महाराज ने अपने गुरु गौरव गणाचार्य 108 विराग सागर जी के 57 वी जन्म जयंती समारोह के अवसर पर गुमास्ता नगर जैन मंदिर में आचार्य श्री के गुणानुवाद के दौरान कही।उन्होंने कहा कि गुरुदेव की निरंतर साधना का उत्कर्ष, सिद्धांत का गहन अध्ययन, अनुपमचर्या का परिणाम है कि आज उनके द्वारा दीक्षित 8 आचार्य और 56 उपसंघ पूरे भारतवर्ष में जैन धर्म की ध्वजा को विश्व पटल पर रखे हुए हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य श्री के चित्र का अनावरण श्री आजाद जैन, डॉ अनुपम जैन, डॉ जैनेंद्र जैन, कैलाश वेद,जयसेन जैन, प्रदीप गोयल, व प्रदीप बड़जात्या ने किया व पाद प्रक्षालन का सौभाग्य गुमास्ता नगर जैन समाज एवं पुलक चेतना मंच को प्राप्त हुआ।
समाज के संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि इस अवसर पर आचार्य श्री विराग सागर महाराज की संगीतमय पूजन व 57 दीपों से महाआरती भजन गायक श्री पंकज जैन के द्वारा करवाई गई।समस्त दिगम्बर जैन समाज इंदौर की और से सामाजिक संसद के प्रतिनिधियों द्वारा आचार्य श्री विभवसागर महाराज ससंघ को इंदौर चातुर्मास के लिए निवेदन किया गया।
आचार्य श्री शांति सागर जी की जन्म जयंती पर प्रकाशित विशेषांक जैन पत्रिका “सन्मति वाणी” का विमोचन भी सभा के दौरान किया गया।इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के बीच हेमंत जैन, टी के वैद, प्रतिपाल टोंग्या, वीरेंद्र जैन, सुभाष सेठिया, प्रदीप झांझरी,आदि मौजूद थे।कार्यक्रम का संचालन अनामिका बाकलीवाल व टी के वैद ने किया।